फिर भी हर पल जीने की आस रहती है तो बस हर कहीं एक अपूर्णता...! फिर भी हर पल जीने की आस रहती है तो बस हर कहीं एक अपूर्णता...!
जहाँ होती खड़ी, मेरे सपनों की इमारत, वह सुनसान पड़ा है। जहाँ होती खड़ी, मेरे सपनों की इमारत, वह सुनसान पड़ा है।
फिर दूर होने पर खूब सारी बाते करना अच्छा लगता है... फिर दूर होने पर खूब सारी बाते करना अच्छा लगता है...
उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे... उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे...
जिंदगी अा बैठ, दो पल कुछ बातें करें...! जिंदगी अा बैठ, दो पल कुछ बातें करें...!
बातें दिल की... बातें दिल की...